17/05/2024

राष्ट्रीय हिन्दी दिवस 2022 ( National Hindi Divas 2022)

राष्ट्रीय हिन्दी दिवस

हर बर्ष 14 सितम्बर को भारत में राष्ट्रीय हिन्दी दिवस मनाया जाता है। प्रथम बार Hindi Divas मनाने की शुरुआत बर्ष 1953 से हुई । हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए कई साहित्यकारों और राजनीतिज्ञों ने बहुत अथक प्रयास किए पर ‘व्यौहार राजेन्द्र सिंह जी’ के प्रयास को सबसे ज्यादा प्रमुखता दी गई। इनका जन्म 14 सितम्बर 1900 को जबलपुर में हुआ था । इनके जन्म दिवस को ही हिन्दी दिवस मनाने के लिए चुना गया। व्यौहार राजेन्द्र सिंह जी स्वयं संस्कृत, बांग्ला, मराठी, गुजराती, मलयालम, उर्दू, अंग्रेज़ी भाषाओं के जानकार थे पर उन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए उन राज्यों के भी प्रमुख लोगों से संपर्क साधा जहां हिन्दी की पहुँच लगभग नहीं थी। इसलिए हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने कि पहल में बहुत से साहित्यकारों का योगदान के ऊपर उनके योगदान को प्राथमिकता दी गई और उनके सन्मान में उनके जन्म दिन को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस (National Hindi Divas) मनाने के लिए चुना गया ।

इतने सारे दिवस के बीच हिन्दी दिवस (Hindi Divas) गुम क्यूँ है ?

हिन्दी भाषी लोगों को पश्चिम देशों के प्रभाव से भारत में शुरू हुए कई दिवस जैसे मदर्स डे , फादर्स डे , रोज़ डे , फ्रेंडशिप डे ,वेलेंटाइन डे ( Mothers Day, Fathers Day, , Rose Day, Valentine Day ) की जानकारी हो गई है और इन्हें बड़े ताम झाम से अधिकतर घरों, परिवारों में मनाया भी जाता है पर हिन्दी दिवस (Hindi Divas) जैसा भी कोई दिवस होता है इसकी जानकारी बहुत काम लोगों को है। जैसे बाकी दिवस की शुभकामनाएं लोगों तक पहुंचाई जाती है वैसे ही डिजिटल माध्यम का सदुपयोग कर हिन्दी दिवस की शुभकामना भी लोगों तक पहुंचाएं।

क्या भारत के पास राष्ट्र भाषा नहीं होनी चाहिए ?

भारत एक महान और विशाल राष्ट्र है पर इसकी कोई राष्ट्र भाषा नहीं है। हिन्दी सिर्फ भारत की राजकीय भाषा है । स्वतंत्रता के इतने सालों बाद इस महान, गौरवशाली और विशाल प्रजातान्त्रिक राष्ट्र को इसकी राष्ट्र भाषा तो मिलनी ही चाहिए। विकासशील से विकसित देश बनने की ओर तेजी से अग्रसर होते हुए राष्ट्र को अपनी राष्ट्रभाषा भी चुन लेनी चाहिए। भारत के अंदर बहुत सी भाषाएं बोली जाती हैं, सारी भाषाएं प्यारी और महत्वपूर्ण हैं पर जब भारत दुनिया के नक्शे पर मस्तक उठाकर एक विकसित देश के रूप में सामने खड़ा होगा और उससे जब उसकी राष्ट्रभाषा के बारे में प्रश्न पूछा जाएगा तो उस दिन के लिए उसके पास एक तय उत्तर तो होना ही चाहिए। क्षेत्र के आधार पर भाषा का विरोध करते हुए लोग यह भूल जाते हैं कि एक मजबूत राष्ट्र के पास इसी क्षेत्रियतावाद के कारण कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। हमें सभी भारतवासियों को क्षेत्रियतावाद के ऊपर उठकर राष्ट्रवाद को प्रथम स्थान पर रखना चाहिए । लोकतान्त्रिक तरीके से हर भाषा को राष्ट्रभाषा बनने की दावेदारी पेश करने दी जानी चाहिए पर अंततः किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में चयन कर ही लेना चाहिए। फिर से याद दिल देता हूँ की हिन्दी भारत की राजकीय भाषा जरूर है पर राष्ट्रभाषा नहीं।

विश्व हिन्दी दिवस

राष्ट्रीय हिन्दी दिवस (Hindi Divas) के जैसा ही एक और दिवस है को विश्व स्तर पर मनाया जाता है और वो दिवस है विश्व हिन्दी दिवस। विश्व हिंदी दिवस पहली बार 10 जनवरी, 2006 को मनाया गया था और उसके बाद से ये हर वर्ष 10 जनवरी को पूरे संसार में  विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।

हिन्दी की वर्तमान स्थिति

किसी भी भाषा की फूलने फलने और समृद्धि के लिए उस भाषा में दो चीजों का होना बेहद अनिवार्य है। एक है उस भाषा में रोजगार की संभावना और दूसरा है उस भाषा में व्यापार की संभावाना ।

वर्तमान समय में हिन्दी में रोजगार की हालत

अभी की स्थिति में हिन्दी भाषा में बड़े पदों पर गैर सरकारी संस्थानों में नौकरी पाना काफी मुश्किल कार्य हो गया है । सारे कॉर्पोरेट घराने के बड़े पदों पर काम करने वाले , English भाषा में शिक्षा प्राप्त लोग ही हैं। उन में से अधिकतर को तो हिन्दी पढ़ने भी नहीं आती है। वो बमुश्किल Roman में लिखी हिन्दी , जैसे राम जा रहा है को Roman में पढ़ पाते हैं जिसे उनके लिए इस तरह लिखा जाता है (Ram ja raha hai)। लोग खुल कर तो नहीं कहते पर हिन्दी भाषी लोगों ने भी इस बात को जाने अनजाने स्वीकार कर लिए है । इसलिए स्वयं हिन्दी भाषी स्कूल में पढ़े अभिभावक भी अपने बच्चों को किसी तरह English भाषी स्कूल में भेजने की होड़ में लगे हैं। हिन्दी में रोजगार की संभवना कम होने से उनके इस कदम को गलत भी नहीं ठहराया जा सकता है। हर अभिभावक को अपने बच्चे का सुनहरा भविष्य सोचने और उसके अनुरूप आचरण करने का हक है। हिन्दी को समृद्ध करने की बात सिर्फ कागज, समाचार पत्रों , सभाओं  और Internet पर करने के साथ साथ धरातल पर उतरकर हिन्दी में नए रोजगार की संभावनों को ढूँढने की जरूरत है। इस के लिए हिन्दी जो धीरे धीरे बोल चाल की भाषा बनती जा रही है उस को वापस पाठ्यक्रम में अधिक जगह दी जानी चाहिए । हिन्दी को पढ़ना , पढ़ाना और आगे बढ़ाना होगा ।

हिन्दी का बाजार

हिन्दी में रोजगार की संभावना भले ही काम हुई है पर ये सुखद आश्चर्य है की हिन्दी का बाजार बढ़ा है । इस योग दान में सिनेमा, सीरियल और वेब सीरीज का बड़ा योगदान है । आज भारत के अधिकतर राज्यों में इनके कारण हिन्दी समझने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। बाहर के देशों की सिनेमा , हिन्दी का बाजार बढ़ने से हिन्दी में डबिंग (मूल भाषा के संवादों को हिन्दी में अनुवाद कर बोलना ) होकर आने लगीं हैं। ये एक साफ सबूत है की हिन्दी का बाजार बढ़ा है। पहले डिजिटल लेन देन में हिन्दी भाषी क्षेत्रों की भागीदारी बहुत कम थी पर समय के साथ साथ वो डिजिटल लेन देन में प्रमुखता से सक्रिय हो रहे हैं। जब बाजार बढ़ेगा तो वहाँ ठगों की भी आवक होगी । ये बात सत्य है कि ऑनलाइन इंटरनेट की दुनिया में तरह तरह के धोखाधड़ी और जालसाजी (Internet Frauds, Scam, Cheating) की संभावना अधिक होने लगी है पर सही जानकारी होने से इस से बचा जा सकता है, और इंटरनेट के सुगम और त्वरित होने का लाभ उठाया जा सकता है। इंटरनेट ठगी ( Internet Frauds) पर अधिक जानकारी के लिए ये आर्टिकल पढ़े https://hindihamari.com/internet-frauds-or-digital-cheatings/

हिन्दी का भविष्य

अभी हिन्दी बाजार पर तो अपनी पकड़ बना रही है पर रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पकड़ ढीली कर रही है। सारे पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तक English भाषा में होते जा रहे हैं। पहले English को सिर्फ एक भाषा की तरह से पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था और बाकी विषयों की पुस्तकें हिन्दी में होती थीं पर आज सारे विषयों की पुस्तकें English में और हिन्दी बस एक भाषा बनकर रह गई है । हिन्दी में पढ़े जा सकने वाले सामग्रियों की काफी कमी हो गई है। थोड़ी सावधानी, समझदारी और योजना बनाकर हिन्दी का भविष्य बहुत समृद्ध किया जा सकता है पर नजर अंदाज करने से आज से पचास साल बाद हिन्दी की भी वही हालत हो सकती है जो आज संस्कृत का हो गया है।

आग्रह

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